April 19, 2024

 

इंदौर। 42 लाख रुपए की घोटालेबाज निलंबित डिप्टी कलेक्टर विशा माधवानी झाबुआ में एसडीएम के रूप में पदस्थ थी और बुरहानपुर जिले के नेपानगर में अपनी पदस्थापना के दौरान मुआवजे में 42 लाख रुपए की अफरा-तफरी कर दी। इसके बाद अभी कुछ समय पहले महू में फार्म हाउस की जमीन भी खरीद ली। प्रशासनिक हलकों में इस बात को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि कुछ समय पहले ही बनी एक नई अफसर इस तरह की गलती कैसे कर सकती है। इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है कि पद के हिसाब से उसने जिस 42 लाख रुपए का घोटाला किया है वह कोई बड़ा मायने नहीं रखता। अपना कैरियर बनाने की बजाय उसने पूरे कैरियर को ही बर्बाद कर लिया।
राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी विशा माधवानी के खिलाफ न सिर्फ घोटाले का आरोप लगा, बल्कि फर्जी बैंक खाते खोलकर मुआवजे की राशि हड़पने के गंभीर आरोप भी हैं। ऐसा लगता है कि वह बहुत जल्दी अरबपति बनने के सपने देख रही थी। दरअसल भूमि अधिग्रहण के एक मामले में लगभग 42 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाना था। बोरवन तालाब के लिए यह अधिग्रहण किया गया, लेकिन हितग्राही के नाम से फर्जी बैंक खाता खोलकर यह राशि हजम कर ली और शिकायत होने पर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने जांच करवाई और इसमें तत्कालीन एसडीएम नेपानगर और वर्तमान में झाबुआ की डिप्टी कलेक्टर रही विशा माधवानी दोषी पाई गई। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई और फिलहाल वे फरार भी हैं। कल संभागायुक्त ने निलंबित कर उनका मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय अलीराजपुर रखा है। इधर सूत्रों का कहना है कि विशा वाधवानी ने कुछ समय पहले महू में फार्म हाउस के लिए जमीन भी खरीदी। यह जमीन भी उनके नाम पर ही दर्ज होना बताई जाती है। इस जमीन की तार फेंसिंग भी पिछले दिनों की गई और इस पर निर्माण कार्य शुरू होना था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते यह काम नहीं हो सका। प्रशासनिक हलके में इस बात को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि एक नवागत अफसर इस तरह का घोटाला कैसे कर सकती है, जिसके चलते उसने अपना पूरा कॅरियर ही बर्बाद कर लिया। जबकि अभी नौकरी की शुरुआत ही हुई थी और 42 लाख रुपए की राशि बहुत ज्यादा भी नहीं है। इतनी राशि तो एक तहसीलदार, पटवारी या अन्य सालभर में ही कमा लेता है। ऐसे में एक एसडीएम द्वारा इस तरह की बेवकूफी की गई। कुछ समय पूर्व ही कलेक्टर ने इस मामले की जांच रिपोर्ट और निलंबन की सिफारिश संभागायुक्त को भिजवा दी थी।